स्वास्थ्य अधिकारों पर राष्ट्रीय सम्मेलन: आज एक साथ आना क्यों ज़रूरी है?

अभय शुक्ला

आज हमारे देश में सत्ताधारी और कॉर्पोरेट कंपनियों की चांदी है, पर आम जनता के लिए समय कठिन होता जा रहा है।सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) के लिए यह मुश्किल दौर है। ऐसे समय में, जन स्वास्थ्य अभियान(JSA) द्वारा आयोजित स्वास्थ्य अधिकारों पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ (11–12 दिसंबर 2025, नई दिल्ली) उम्मीद की एक किरण है। यह केवल एक बैठक नहीं है, बल्कि यह एकजुटता, प्रतिरोध और सामूहिक उम्मीद का एक प्रतीक है।

यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब समाज में विभाजन बढ़ रहे हैं, और लोग बंटे हुए महसूस कर रहे हैं। ऐसे में, यह हमारे लिए यह एक मौका है कि हम अपनी सकारात्मक ऊर्जा को एक साथ जोड़ें, अपने अनुभवों को बांटें, और अपनी साझा ताकत को याद करें। यह ब्लॉग केवल एक निमंत्रण नहीं है, बल्कि एकजुट होने के लिए के लिए एक पुकार है। अगर हम स्वास्थ्य आंदोलनों को जीवित रखना चाहते हैं, और भारत में स्वास्थ्य अधिकारों के संघर्षों को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो आज हमारा साथ आना बेहद ज़रूरी है।

पढ़िए यहाँ 12 वजहें – हम सभी को इस राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनी आवाज़ क्यों मिलानी चाहिए !


1. स्वास्थ्य व्यवस्था के गहराते संकट के बारे में, पूरे समाज को चेतावनी देने के लिए

आज भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था गहरे संकट में है। कोविड महामारी की तबाही के बावजूद, ऐसा लगता है कि सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है। 80 करोड़ से ज्यादा लोग अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए आज सरकारी राशन और सेवाओं पर निर्भर हैं, लेकिन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के बजाय उन्हें और कमजोर किया जा रहा है। अस्पतालों में स्टाफ की कमी है, और बजट घटाया जा रहा है। यह सम्मेलन इस संकट के बारे में समाज को चेतावनी देने का, और स्वास्थ्य अधिकारों के लिए देश भर में हो रहे संघर्षों को एक मंच पर लाने का मौका है।

स्वास्थ्य का संकट है गहराया, एकजुट होने का समय है आया !


2. सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण का डट कर विरोध करने के लिए

सरकारी अस्पतालों को कमजोर करने के पीछे एजेंडा है—निजीकरण और बाजारीकरण। ‘पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप’ (PPP) के नाम पर, मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों को बड़े स्तर पर निजी कंपनियों के हाथों में सौंपा जा रहा है। इससे मुनाफाखोरी बढ़ेगी, और गरीब जनता के लिए सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज के रास्ते बंद हो जाएंगे। इस सम्मेलन में हम उन तमाम आंदोलनों की कहानियाँ सुनेंगे, जो सरकारी अस्पतालों को बिकने से बचाने के लिए जी जान से लड़े रहे हैं।

सरकारी अस्पताल हैं जनता के आधार – बंद करो इन्हें बेचने का कारोबार !


3. जन स्वास्थ्य सेवाओं को बचाने और मजबूत करने के लिए

निजीकरण का विरोध करने के साथ-साथ, हमें सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की भी मांग करनी होगी। हमें एक ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था चाहिए जो सबकी पहुँच में हो, और जहाँ सेवाओं का दर्ज़ा अच्छा हो। इस सम्मेलन में हम चर्चा करेंगे कि कैसे जनता के दबाव से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाया जा सकता है, और कैसे ‘स्वास्थ्य के अधिकार’ और ‘स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकार’ को पाने की दिशा में हम आगे बढ़ सकते हैं।

जन स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार – ले कर रहेंगे सबके लिए स्वास्थ्य का अधिकार!


4. प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी रोकने, और मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए

आज प्राइवेट अस्पतालों का अंधाधुन्द बाज़ार है। मुनाफाखोरी, बहुत ज़्यादा फीस, और बिना वजह के टेस्ट व इलाज करना आम बात हो गई है। मरीजों के अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। हमें मांग करनी है कि प्राइवेट अस्पतालों के नियमन के लिए प्रभावी कानून बनें, इलाज के दर नियंत्रण में रहें, हर अस्पताल में रेट लिस्ट दर्शाया जाये, और मरीजों की शिकायतों की सुनवाई के लिए एक प्रभावी सिस्टम हो।

मरीजों की परेशानी, प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी – नहीं चलेगी!


5. स्वास्थ्य बीमा के झूठे वादे नहीं, हमें स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पर्याप्त सरकारी बजट चाहिए

भारत सरकार स्वास्थ्य पर दुनिया में सबसे कम खर्च करने वाले देशों में से एक है। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर जितना कम खर्च करती है, आम लोगों को अपनी जेब से उतना ही ज्यादा खर्च करना पड़ता है। ‘आयुष्मान भारत’ जैसी बीमा योजनाएं समस्या का हल नहीं हैं, बल्कि यह प्राइवेट अस्पताल और बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाने का तरीका बन गयी हैं। हम मांग कर रहे हैं कि सरकार स्वास्थ्य के बजट में पर्याप्त बढ़ोत्तरी करे, और बीमा का आधा – अधूरा वादा देने के बजाय सरकारी अस्पतालों को मजबूत करे, ताकि सबके लिए इलाज मुफ्त और सुलभ हो।

नहीं चाहिए बीमा का अधूरा वादा, मुफ्त और पूरी स्वास्थ्य सेवा हमारा इरादा !


6. स्वास्थ्य कर्मचारियों को न्याय और सम्मान दिलाने के लिए

डॉक्टर, नर्स, आशा (ASHA), आंगनवाड़ी सेविका, सफाई कर्मचारी व अन्य सभी स्वास्थ्य कर्मी हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं। कोविड के दौरान हमने देखा कि उन्होंने अपनी जान पर खेलकर हमारी जान बचाई। लेकिन आज भी उन्हें कम वेतन, ठेके की नौकरी और बदहाल कामकाज की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यह सम्मेलन सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों की आवाज़ बनेगा, ताकि उन्हें पक्की नौकरी, उचित वेतन, काम की बेहतर परिस्थिति, और सामाजिक सुरक्षा मिल सके।

स्वास्थ्य कर्मचारी हैं देश की जान – इनको चाहिए न्याय और सम्मान!


7. सबको सस्ती और योग्य दवाएं सुनिश्चित करने के लिए

हमारे इलाज के खर्च का करीब आधा हिस्सा केवल दवाओं में चला जाता है। पर हमारे देश में 80% से ज्यादा दवाएं आज भी सरकारी कीमत नियंत्रण से बाहर हैं। बड़ी फार्मा कंपनियां जमकर मुनाफा कमा रही हैं, और बाजार में गैर-जरूरी और अनावश्यक रूप से महँगी दवाओं की बाढ़ है। हम मांग करेंगे कि सभी दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण हो, उन पर जीएसटी (GST) हटे, अवैज्ञानिक दवाओं पर रोक लगे, और सरकार खुद दवाओं का उत्पादन बढ़ाए।

भरोसे की दवाइयां और खर्च हो कम, दवाओं पर मुनाफाखोरी करो खतम!


8. स्वास्थ्य में भेदभाव मिटाने और सामाजिक न्याय पाने के लिए

भारत में आज आपको ठीक से स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कौन हैं। दलित, आदिवासी, महिलाएं, LGBTQ+ व्यक्ति, मुस्लिम, प्रवासी मजदूर, विकलांग लोग और तमाम अन्य हाशिये पर खड़े समुदायों को इलाज पाने में कदम-कदम पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। नफरत की राजनीति ने भेदभाव को और गहरा कर दिया है। यह सम्मेलन एक ऐसा मंच है जहाँ हम इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करेंगे, और एक ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था की मांग करेंगे जिसमें किसी के साथ कोई भेदभाव न हो।

सामाजिक और लैंगिक विषमता मिटायेंगे – सबके लिए स्वास्थ्य अमल में लायेंगे!


9. खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रों में प्रभावी कार्यवाही के लिए

हमारी सेहत केवल डॉक्टर या अस्पताल पर निर्भर नहीं है, बल्कि बहुत हद तक इस बात पर निर्भर है कि हमें कैसा खाना और पानी मिल रहा है, हम किस हवा में सांस ले रहे हैं, हमारे रहने की परिस्थिति कैसी है, हमारा पर्यावरण कैसा है। आज कुपोषण, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) हमारी सेहत के लिए बहुत बड़े खतरे हैं। इस सम्मेलन में हम स्वास्थ्य अधिकार, भोजन के अधिकार और पर्यावरण के आंदोलनों को एक साथ लाकर संयुक्त रणनीति बनाने की दिशा में बढ़ेंगे।

स्वास्थ्य के सामाजिक कारक, पर्यावरण की तबाही – हमें इन पर चाहिए ठोस कार्यवाही!


10. स्वास्थ्य को राजनैतिक पटल पर प्रमुख मुद्दा बनाने के लिए

यह सम्मेलन संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आयोजित किया जा रहा है। हम कई सांसदों (MPs) को आमंत्रित कर रहे हैं, और उनके साथ संवाद करेंगे। हमारा मकसद है कि स्वास्थ्य का मुद्दा केवल कागजों पर न रहे, बल्कि यह देश की राजनीति और संसद की बहस का हिस्सा बने। हमें जन प्रतिनिधियों को यह अहसास कराना होगा कि स्वास्थ्य हमारा अधिकार है, और उन्हें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।

11. अपने गठबंधनों को मजबूत करते हुए, एकजुटता बढ़ाने के लिए

यह सम्मेलन ‘जन स्वास्थ्य अभियान’ (JSA) से जुड़े विभिन्न मौजूदा नेटवर्कों की भागीदारी को फिर से ऊर्जा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, साथ ही यह नए गठबंधन बनाने का भी मौका देता है। ऐसे समय में जब भारत में सामाजिक आंदोलनों, संगठनों आर संस्थाओं के लिए सार्वजनिक दायरा सिकुड़ता जा रहा है, फूट की राजनीति प्रबल है और बिखराव बढ़ रहा है, यह सम्मेलन हम सभी को एक मंच पर लाकर सबको ताकत देगा।

इसमें जन स्वास्थ्य अभियान के मौजूदा घटक नेटवर्कों के सदस्य (जैसे AIPSN, NAPM, BGVS, AIDWA, FMRAI, Right to Food campaign, Lok Manch, NFIW, CMAI, MFC और अन्य नेटवर्क) शामिल होंगे। साथ ही, विभिन्न राष्ट्रीय संसाधन गटों के सदस्य और समान विचारधारा वाले सामाजिक अभियान और नेटवर्क भी जुड़ेंगे। इन नए नेटवर्कों में ऑल इंडिया फोरम अगेंस्ट प्राइवेटाइजेशन (All India Forum Against Privatisation), सार्वत्रिक आरोग्य आंदोलन कर्नाटक (Sarvatrika Arogya Andolana Karnataka), प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम (Progressive Medicos and Scientists Forum), पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल (Public Services International), विभिन्न राज्यों के निजीकरण विरोधी आंदोलन (anti-privatisation movements) और अन्य संगठन शामिल हैं।

इस आयोजन के संबंध में, ऐसे लोग भी जिनके अतीत में JSA के साथ कुछ मतभेद रहे हों, उन्हें व्यापक एकजुटता की भावना के साथ इस सम्मेलन में भाग लेने, और समर्थन करने पर विचार करना चाहिए। यह कदम आज और भविष्य में स्वास्थ्य आंदोलनों की एकता को मजबूत करने की दिशा में अत्यंत आवश्यक है।

JSA और सहयोगियों द्वारा आयोजित 2025 का यह राष्ट्रीय सम्मेलन, आज भारत में स्वास्थ्य अधिकारों पर एक आवश्यक रणनीतिक पहल (strategic initiative) और लोकप्रिय कथानक (popular narrative) विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा सकता है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ हम आगामी दशक के भारत के लिए सामूहिक रूप से स्वास्थ्य अधिकार एजेंडा तैयार करने की दिशा में बढ़ सकते हैं।

12. जन स्वास्थ्य अभियान: 25 साल की यात्रा का उत्सव मनाने के लिए

जन स्वास्थ्य अभियान (JSA) की स्थापना 1 दिसंबर 2000 को कोलकाता में हुई पहली राष्ट्रीय स्वास्थ्य सभा के दौरान हुई थी। इस दिसंबर में, हम जन स्वास्थ्य अभियान के साथसाथ वैश्विक ‘पीपल्स हेल्थ मूवमेंट’ (People’s Health Movement) के भी 25 साल पूरे कर रहे हैं।

पिछले ढाई दशकों में, कई चुनौतियों के बावजूद हम बहसों, अभियानों, गठबंधनों और सीखों के ज़रिए लगातार आगे बढ़े हैं। और जब हम आंदोलन को फिर से खड़ा करने के लिए इस सम्मेलन में दोबारा मिल रहे हैं, तो हम अपने ढाई दशक के साझा संघर्षों को याद करेंगे। हम अपने तमाम अनुभवों, बहसों और साझा उद्देश्य और सपनों को याद करेंगे, जिसने हमें साथ मिलकर काम करने के लिए सक्षम बनाया है।

यह सम्मेलन जन स्वास्थ्य अभियान और पीपल्स हेल्थ मूवमेंट की विरासत का सम्मान करने, उत्सव मनाने, सीखने और आगामी वर्षों के लिए योजना बनाने का एक शानदार अवसर है। हम JSA के सभी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सलाम करते हैं जो अब सलाहकार और सहायक भूमिकाओं में आ रहे हैं, वहीं कई अगली कतार के कार्यकर्ताओं के साथ JSAका नया नेतृत्व उभर रहा है। यह अगली पीढ़ी अब स्वास्थ्य आन्दोलन की मशाल थाम रही है।

सम्मेलन का कार्यक्रम कैसे आयोजित किया जा रहा है?

दो दिनों (11 और 12 दिसंबर, 2025) के दौरान, सम्मेलन में मुख्य रूप से निम्नलिखित सत्र और गतिविधियाँ शामिल होंगी:

  • उद्घाटन सत्र (11 दिसंबर सुबह): इसमें सामाजिक आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, और अनुभवी स्वास्थ्य कार्यकर्ता बोलेंगे। यह सत्र सम्मेलन के व्यापक संदर्भ और पूरे एजेंडे को स्पष्ट करने में मदद करेगा।
  • विषय आधारित सत्र (Thematic sessions) (11 दिसंबर दोपहर): डेढ़ घंटे की अवधि में दो सत्र एक साथ आयोजित किए जाएंगे। इन चार विषयों पर चर्चा होगी:
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत करना और स्वास्थ्य के अधिकार को सुनिश्चित करना।
    • स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण का विरोध करना।
    • स्वास्थ्य सम्बन्धी वित्तीय मुद्दों और स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर चर्चा।
    • स्वास्थ्य से सम्बंधित लैंगिक और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना।
  • सांसदों के साथ संवाद (11 दिसंबर शाम): यह सम्मेलन संसद सत्र के दौरान आयोजित किया जा रहा है. इस सत्र में सांसदों के साथ संवाद करके स्वास्थ्य के मुद्दे को राष्ट्रीय एजेंडे पर लाने की दिशा में प्रयास होगा।
  • विषय आधारित सत्र (Thematic sessions) (12 दिसंबर सुबह): इन चार विषयों पर चर्चा होगी:
    • प्रायवेट स्वास्थ्य सेवा का नियमन और मरीज़ों के अधिकारों की रक्षा।
    • सबके लिए गुणवत्तापूर्ण और सस्ती दवाएं सुनिश्चित करना।
    • स्वास्थ्य कर्मियों के लिए न्याय सुनिश्चित करना।
    • स्वास्थ्य के सामाजिक और पर्यावरण सम्बन्धी कारक, और जलवायु परिवर्तन।
  • समापन सत्र (12 दिसंबर दोपहर): यहाँ विषय आधारित सभी सत्रों से निकले प्रमुख मुद्दों की संक्षिप्त रिपोर्टिंग होगी। JSA नेटवर्क के तमाम प्रतिनिधि अपने समर्थन की घोषणा करेंगे, और आने वाले समय में सामूहिक कार्यक्रमों के लिए अगले कदमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

हर विषय आधारित सत्र का संचालन JSA के संयोजक और संबंधित कार्यकर्ता करेंगे, ताकि ज़मीन से जुड़ी और भागीदारी वाली चर्चा हो सके। सत्रों से पहले हर विषय के लिए पृष्ठभूमि दस्तावेज़ (Thematic Papers) तैयार करके वितरित किए जाएंगे। इन सत्रों में मरीज़ों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और सामुदाय के लोगों की गवाहियाँ शामिल होंगी। साथ ही संघर्ष की कहानियाँ, हर मुख्य विषय पर खुली चर्चाएँ होंगी। पूरे सम्मेलन कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक गतिविधियाँ, नाटक और गीत प्रस्तुत किए जाएंगे। कार्यक्रम के अंत में एक राष्ट्रीय मीडिया ब्रीफिंग की भी योजना बनाई जा रही है, ताकि उभरते हुए नीतिगत प्रस्तावों और कार्रवाई बिंदुओं को व्यापक तौर पर प्रसारित किया जा सके।

सभी के लिए न्योता और निमंत्रण !

यह सम्मेलन उन सभी के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है जो मानते हैं कि हम सभी अच्छे दर्जे की, सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं के हकदार हैं, और स्वास्थ्य एक मौलिक अधिकार है।

यदि आपका इनमें से कोई भी परिचय है, तो यह सम्मेलन आपके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा:

  • ग्रामीण या शहरी मेहनतकश समुदाय, या ज़मीनी संगठन के सदस्य।
  • स्वास्थ्य या सामाजिक कार्यकर्ता, जो लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी क्षेत्र में सक्रिय हों।
  • स्वास्थ्य कर्मी या स्वास्थ्य कार्यकर्ता (डॉक्टर, नर्स, फ्रंटलाइन कर्मी, अस्पताल स्टाफ आदि)।
  • छात्र (विशेषकर स्वास्थ्य या सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े)।
  • ट्रेड यूनियन, मज़दूर संगठन या जन संगठन के आयोजक।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और शोधकर्ता।
  • मरीज़ और उनके परिजन, जिन्होंने अपने अधिकारों के उल्लंघन का अनुभव किया है।
  • लोकतंत्र और सामाजिक न्याय में रुचि रखने वाले नागरिक।

इस आयोजन में शामिल हों, अपनी कहानियाँ साझा करें, और इस समूहगान में अपना सुर मिलाकर,सभी के लिए स्वास्थ्य अधिकारों का समर्थन करें !

हम क्या चाहते हैं?

सम्मेलन में आकर, हम साथ मिलकर स्वास्थ्य के अधिकार से जुड़े इन उद्देश्यों के लिए आगे बढ़ेंगे

  1. स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण और बाजारीकरण का सामना करेंगे।
  2. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का संवर्धन और सुधार करने और लोकतांत्रिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए कदम बढ़ाएंगे।
  3. प्राइवेट अस्पतालों और दवा कंपनियों पर सरकार का नियंत्रण प्रभावी ढंग से लागू करवाएंगे।
  4. इलाज पर होने वाले अत्यधिक व्यक्तिगत खर्च को सीमित करने के लिए नीतियों की मांग करेंगे।
  5. स्वास्थ्य कर्मचारियों का सम्मान करते हुए, उनके अधिकारों को स्वीकार करने की मांग करेंगे।
  6. भेदभाव मिटाकर समता की ओर बढ़ेंगे और सभी के लिए स्वास्थ्य अधिकारों को सुदृढ़ करेंगे।
  7. अन्न सुरक्षा, पर्यावरण और जलवायु संकट के सामूहिक समाधानों के लिए प्रस्ताव देंगे।
  8. जमीनी आंदोलनों को नई ऊर्जा से समृद्ध करेंगे, और युवा कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय करेंगे।
  9. पुराने और नए साथियों से सम्पर्क बनाएंगे, संबंध बढ़ाएंगे
  10. स्वास्थ्य को एक राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए सांसदों के समक्ष सवाल उठाएंगे
  11. नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सोचविचार करेंगे और मौजूदा हालात में सक्षम रणनीति बनाएंगे।
  12. जन स्वास्थ्य अभियान के 25 वर्षों के संघर्ष और एकजुटता को स्मरण करेंगे और इसका समारोह मनाएंगे।

आइए, हम सब मिलकर ‘स्वास्थ्य अधिकारों पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ का हिस्सा बनें। यह वो समय है जब पुराने संघर्षों के अनुभव, और भविष्य की नई ऊर्जा एक साथ मिलेगी।

सम्मेलन में शामिल होने के लिए रजिस्टर करें:


संपर्क करें : jsanationalsecretariat@gmail.com

अधिक जानकारी के लिए देखें:

www.phmindia.org/national-convention-2025 

स्वास्थ्य हमारा अधिकार – मत करो इसका व्यापार!

Author

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top